
Mannati sunder TV sereyal
मन अतिसुंदर | Mann Atisundar
भी हमारे साथ ऐसे घर पे रहने के सुजाता ये तुम क्या कह रही हो?
पता नहीं पापा को क्या होगया?
ताऊजी दादी आप दोनों घर के बड़े है?
प्लीज़ एक बार पापा जी को समझाइए ना?

शायद शायद वो आपकी बात समझ जाए। मैंने जो फैसला लिया है, बिलकुल सही लिया, सही लिया और वही फैसला सही है।और मैं कोई छोटा बच्चा नहीं हूँ जो मुझे सिखाया जाए या बहलाया जाए। मेरा फैसला अटल है। ये लोग आज से हमारे साथ ही रहेंगे।मुन्ना के पापा ये कैसा अनर्थ कर रहे हैं आप?
ऐसा अन्याय मत कीजिए हमारे साथ हम आपके धर्मपत्नी हैं। आप पर पहला हक हमारा और हमारे परिवार का है।हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे। आपको हमारी बात माननी होगी, आपको इन्हें घर से बाहर करना ही होगा। एक ही घर में एक ही छत के नीचे आपके दो परिवार एक साथ नहीं रह सकते। ये कैसे नहीं आया आपका?
न्याय और अन्याय की बात तुम मत करो सुजाता और जहा तक तुम हक की बात कर रहे हो ना, ये तुम भी जानती हो की पहला हक मेरा हैं।तुमने तो एक सुहागन से उसका हक जीना था, मेरा बेटा बड़ा हो गया, लेकिन उसे अपने पिता का सहाय तक नसीब नहीं हुआ। परिवार का साथ प्यार।बरसो से इन सब चीजों से वंचित रहा वो और आज जब उसे मौका मिल रहा है की वो अपने पिता के साथ रहे तो उससे भी खदेड़ आ जाती हो तुम।मंदिरा कड़े मुर्दे उखाड़ने का कोई मतलब नहीं है। मैंने उस वक्त जो फैसला लिया था, अपने बेटे के हित के लिए लिया था। तुम यहाँ पर आकर अपना रुबाब नहीं दिखा सकती। अगर तुम्हे अपने हक के लिए लड़ना था तो उस वक्त लड़ती।जब तुम दोनों का रिश्ता था अब किस बात की लड़ाई इस हक के लिए तुम आई हो यहाँ पे?
मन अतिसुंदर | Mann Atisundar
इतने सालों के बाद अब तुम्हारा इस घर में रहना गलत ही नहीं क्नॉइस।चक्कू तुम्हारा हसता खेलता बसा। बसाया परिवार तुम अपने परिवार को जॉइन कर इन लोगों को बना दोगे। सुजाता और मेरे घर के सदस्य पर क्या गुजरेगी?
समाज को मोहल्ले वालों को क्या जवाब दोगे?
ऐसा नहीं कर सकती। माँ बिलकुल ठीक कह रही हैं, तू ऐसे कैसे कर सकता हैं?
और ऐसा करने से पहले तुझे हम में से किसी का ख्याल नहीं आया।क्या हम तेरे लिए कोई मायने नहीं रखते?
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जग्गू याद कर कैसे हमने एक परिवार की तरह हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। पापा जी चुप क्यों हैं?
हमारा दिल नहीं मान रहा है की वो हम सबके साथ इतना बड़ा अन्याय कर सकते है। जरूर कोई और बात है। हमने आज तक आपसे कभी कुछ नहीं मांगा, ना आपका वक्त मांगा, ना किसी काम में आपका साथ मांगा, ना आपकी मदद मांगी।आपने हमें जैसे रखा, हम हर हाल में वैसे वैसे खुश रहे, आपने जैसा चाह हमने वैसा बर्ताव किया।लेकिन आज हम अनदेखा नहीं कर सकते है। आज हम आपके साथ भी बर्दाश्त नहीं करेंगे, लेकिन आज हम आपके आगे हाथ छोड़ करके प्यार से हमारे साथ ऐसा मत कीजिए।हमारे परिवार को मत थोड़ी मत कीजिये। हम भगवान थे आपसे हमारे रिश्ते के साथ इतना बढ़ जाये मत कीजिये।आज कीजिये हमारे साथ ऐसा बात कीजिये।