अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दुनियाभर के देशों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं
नई दिल्ली
इसके लिए वह टैरिफ वॉर और दूसरे सख्त तरीके अपना रहे हैं। उनका सबसे बड़ा निशाना चीन है, जो अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। ट्रंप ने चीन से आयात पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है और अब वह चीन की टिकटॉक को भी खरीदने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप ने सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने का आदेश दिया है। इसका पैसा टिकटॉक जैसी कंपनियों में निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस फंड की कुल रकम 900 अरब डॉलर (करीब 78.37 लाख करोड़ रुपये) हो सकती है। अगर ट्रंप सॉवरेन फंड के जरिए TikTok का स्वामित्व अमेरिका में लाने में सफल हो जाते हैं, तो इस रणनीति का इस्तेमाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और चीनी कंपनियों पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए किया जाएगा।
सॉवरेन वेल्थ फंड क्या है?
सॉवरेन एक सरकारी निवेश फंड है जो शेयर बाजार, रियल एस्टेट और दूसरी संपत्तियों में निवेश करता है। कई देशों के पास पहले से ही सॉवरेन फंड हैं। इनमें सऊदी अरब, चीन, सिंगापुर, नॉर्वे और कतर शामिल हैं। हालांकि, अमेरिका में अब तक ऐसा कोई राष्ट्रीय फंड नहीं था। अब अमेरिका इस फंड के जरिए विदेशी कंपनियों में भी निवेश कर सकता है या धनी निवेशकों के साथ साझेदारी कर सकता है।
अमेरिका TikTok में हिस्सेदारी क्यों चाहता है?
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अगर अमेरिका अपने सॉवरेन फंड से TikTok में 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहतर होगा। TikTok का स्वामित्व रखने वाली चीनी कंपनी Bytedance को अमेरिकी कानून के तहत अपना अमेरिकी कारोबार बेचना होगा। AI स्टार्टअप Perplexity AI ने भी TikTok को अमेरिकी कंपनी बनाने का प्रस्ताव दिया है। अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन के मुताबिक, इस फंड को अगले एक साल में शुरू किया जा सकता है।
अमेरिका के लिए यह फैसला क्यों अहम है?
- अमेरिकी सरकार का चीन की टिकटॉक के साथ डेटा सुरक्षा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
- ट्रंप ने पहले टिकटॉक को 75 दिनों के भीतर किसी अमेरिकी कंपनी को बेचने की चेतावनी दी थी।
- अब ट्रंप सॉवरेन फंड के जरिए अमेरिका की डिजिटल सुरक्षा और आर्थिक प्रभाव को मजबूत करना चाहते हैं।
- अगर यह योजना सफल होती है तो अमेरिका टिकटॉक के अमेरिकी परिचालन पर पूरा नियंत्रण कर सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दुनियाभर के देशों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं