**”राज्य के दर्जे पर केंद्र की भूमिका: उमर अब्दुल्ला की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य संदेश”**
इस बिंदु का उद्देश्य उमर अब्दुल्ला की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस से संबंधित राज्य के दर्जे (राज्य निर्माण) पर केंद्र सरकार की भूमिका को समझना और उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए उनके मुख्य संदेशों को विस्तार से प्रस्तुत करना है। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए हम निम्नलिखित पहलुओं को शामिल करेंगे:
1. उमर अब्दुल्ला का राजनीतिक रुख**
– उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के एक प्रमुख राजनेता और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता हैं। राज्य के दर्जे के मुद्दे पर उनका राजनीतिक रुख महत्वपूर्ण है क्योंकि वे लगातार राज्य के पुनर्गठन और विशेष दर्जे की बहाली के लिए आवाज उठाते रहे हैं।
– जब 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया गया था, तो उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी ने इसका विरोध किया था। इस संदर्भ में उनकी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य का दर्जा बहाल करने की उम्मीद जताई थी।
**2. राज्य का मुद्दा और केंद्र की भूमिका**
– राज्य का मुद्दा जम्मू-कश्मीर के लिए एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा है। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा छीन लिया गया था ।
– उमर अब्दुल्ला ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि उन्हें केंद्र सरकार से राज्य के दर्जे के लिए किसी समयसीमा या स्पष्टता की उम्मीद नहीं है, लेकिन उम्मीद जताई कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।
– उनका यह भी मानना था कि केंद्र को इस पर सकारात्मक कदम उठाने चाहिए, क्योंकि यह कश्मीर के लोगों की भावनाओं और राजनीतिक स्थिति के अनुरूप होगा।
**3. राज्य का दर्जा बहाल करने की जरूरत**
– उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना कश्मीरियों के अधिकारों और उनके आत्मनिर्णय की भावना को बहाल करने का एक तरीका हो सकता है।
– उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खोना न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए पहचान का संकट भी है।
– राज्य का दर्जा बहाल होने से स्थानीय राजनीतिक प्रक्रिया में नई जान आ सकती है और राज्य के लोगों को अपनी सरकार और प्रशासन के फैसलों में अधिक अधिकार मिल सकते हैं।
### **4. केंद्र से अपेक्षाएं और शर्तें**
– उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से यह भी अपेक्षा जताई कि राज्य का दर्जा बहाल होने से पहले राज्य की राजनीतिक स्थिति को सामान्य करना जरूरी है। उन्होंने साफ किया कि जब तक राज्य के नेताओं को एक साथ बैठकर चर्चा करने का मौका नहीं मिलता, तब तक राज्य के दर्जे पर कोई वास्तविक फैसला नहीं लिया जा सकता।
– उनके मुताबिक, केंद्र को कश्मीर के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों को शामिल करके एक गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए ताकि राज्य के दर्जे पर आम सहमति बन सके।
**5. जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाएं**
– उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा बहाल होना सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह कश्मीर के लोगों की भावनाओं और अधिकारों का मामला है।
– कश्मीरियों का मानना है कि जब तक उन्हें राज्य का दर्जा नहीं मिलता, तब तक उनका वास्तविक राजनीतिक प्रतिनिधित्व और अधिकार पूरी तरह से बहाल नहीं हो सकते। यह मुद्दा उनकी आजादी, स्वायत्तता और अधिकारों से जुड़ा है।
**6. निष्कर्ष: उमर अब्दुल्ला का संदेश**
– उमर अब्दुल्ला ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में संदेश दिया कि राज्य का मुद्दा एक संवेदनशील और जटिल मामला है, लेकिन इसका समाधान केवल ठोस राजनीतिक बातचीत और परामर्श के माध्यम से ही संभव है।
– उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य का दर्जा बहाल करना समय-संवेदनशील मुद्दा नहीं है, लेकिन इसे पूरी गंभीरता और कश्मीर के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए हल किया जाना चाहिए।
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इस प्रकार, राज्य के मुद्दे पर केंद्र की भूमिका पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमर अब्दुल्ला के संदेशों से यह स्पष्ट हो जाता है कि वह इस मुद्दे को राजनीतिक और संवेदनशील दृष्टिकोण से देख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि केंद्र कश्मीरियों की भावनाओं और अधिकारों को ध्यान में रखते हुए समाधान निकालेगा।