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अम्बेडकर पर अमित शाह

अमित शाह ने डॉ. अंबेडकर के योगदान की किस तरह सराहना की

यह सवाल इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता अमित शाह किस तरह डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को पहचानते और सम्मान देते हैं। डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के महान पैरोकार थे और भारतीय समाज और राजनीति में उनका योगदान अद्वितीय है। अब हम विस्तार से जानेंगे कि अमित शाह ने किस तरह डॉ. अंबेडकर के योगदान की सराहना की है।

1. डॉ. अंबेडकर के योगदान को मान्यता

अमित शाह ने कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से डॉ. अंबेडकर के योगदान की प्रशंसा की है। उनका कहना है कि डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज को समानता, न्याय और स्वतंत्रता के लिए जो मार्गदर्शन दिया, वह अमूल्य है। खासकर भारतीय संविधान को आकार देने में उनके द्वारा किए गए प्रयासों को अमित शाह ने हमेशा सम्मानित किया है। उनका मानना ​​है कि भारतीय समाज में सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए डॉ. अंबेडकर ने जिस तरह की लड़ाई लड़ी, वह बेहद महत्वपूर्ण थी।

अमित शाह ने डॉ. अंबेडकर के योगदान की किस तरह सराहना की

 

2. अंबेडकर जयंती पर श्रद्धांजलि

अमित शाह ने अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) के अवसर पर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। इस दिन वह सार्वजनिक रूप से अपने योगदान और समाज में अपने विचारों के महत्व का जिक्र करते हैं। यह उनके लिए एक मौका है, जब वह डॉ. अंबेडकर के विजन और काम को नए तरीके से समझने और प्रचारित करने की कोशिश करते हैं। इस दिन वह अंबेडकर की विचारधारा को प्रासंगिक मानते हैं और संदेश देते हैं कि उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

3. सामाजिक न्याय के प्रति अंबेडकर की प्रतिबद्धता

अमित शाह कई बार डॉ. अंबेडकर की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता की तारीफ कर चुके हैं। डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज में जातिवाद, असमानता और उत्पीड़न के खिलाफ जो संघर्ष किया, वह उन्हें भारतीय राजनीति का एक बड़ा नेता बनाता है। शाह ने कहा है कि अंबेडकर के विचार आज भी समाज के हर वर्ग के लिए प्रासंगिक हैं और उन्हें लागू करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

4. भाजपा की नीतियों में अंबेडकर का प्रभाव

अमित शाह कई मौकों पर कह चुके हैं कि भाजपा की नीतियां और कार्य डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों के आधार पर चलने की कोशिश करते हैं। शाह का मानना ​​है कि अंबेडकर के दिए गए विचार आज भी पार्टी की कार्यशैली और विकास योजनाओं में देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए पार्टी द्वारा बनाई गई योजनाओं को अंबेडकर के सिद्धांतों से जोड़कर पेश किया जाता है।

5. अंबेडकर के विचारों को राजनीति में लागू करना

अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने डॉ. अंबेडकर के विचारों को अपनी राजनीति का हिस्सा बनाने की कोशिश की है। शाह ने साफ कर दिया है कि भाजपा का उद्देश्य समाज के हर वर्ग को समान अधिकार देना और उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाना है। डॉ. अंबेडकर का विचार था कि सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में काम करने के लिए संविधान का पालन करना जरूरी है। शाह ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि अंबेडकर की इस सोच का भाजपा शासन में भी पालन हो।

6. आलोचना का सामना करना
हालांकि अमित शाह और भाजपा ने डॉ. अंबेडकर के योगदान की प्रशंसा की है, लेकिन कुछ आलोचकों का कहना है कि पार्टी की कुछ नीतियां अंबेडकर के सिद्धांतों से मेल नहीं खाती हैं। खास तौर पर दलितों और पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर कभी-कभी इस बात की आलोचना होती है कि पार्टी वास्तव में अंबेडकर के सामाजिक न्याय के विचारों को पूरी तरह लागू कर रही है या नहीं।

अमित शाह ने कई बार इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा है कि भाजपा ने हमेशा अंबेडकर के विचारों का सम्मान किया है और उनके सिद्धांतों पर चलने के लिए समर्पित है।

7. पार्टी योजनाओं में अंबेडकर की छवि

अमित शाह ने यह भी कहा है कि भाजपा सरकार ने अंबेडकर की छवि को पार्टी के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया है। उदाहरण के लिए, विभिन्न राज्यों में डॉ अंबेडकर के नाम पर योजनाएं बनाई गई हैं और उनकी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। शाह ने उल्लेख किया कि ये कदम उनके विचारों का सम्मान करने और समाज में उनके योगदान को मान्यता देने की दिशा में उठाए गए हैं।

निष्कर्ष

अमित शाह ने हमेशा डॉ अंबेडकर के योगदान का सम्मान और आदर किया है। उनके सार्वजनिक बयान, पार्टी की नीतियां और योजनाएं अंबेडकर के विचारों के प्रभाव को दर्शाती हैं। हालांकि पार्टी और सरकार की नीतियों की कुछ आलोचनाएं हुई हैं, लेकिन शाह ने हमेशा डॉ अंबेडकर के योगदान के महत्व को स्वीकार किया है और उनकी विचारधारा को जारी रखने की बात की है।

अंत में, अमित शाह के बयानों और कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि वह न केवल डॉ अंबेडकर के योगदान में विश्वास करते हैं बल्कि आज के समय में उन्हें लागू करने के लिए प्रतिबद्ध भी हैं।
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