
चंडीगढ़ मेयर चुनाव का दिल्ली पर पड़ेगा असर
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद चंडीगढ़ मेयर का चुनाव कराना चाहती थी आप, क्या उसे पहले से ही हार का पता था?
चंडीगढ़ मेयर का चुनाव भाजपा ने जीत लिया है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन हार गया है। क्रॉस वोटिंग के जरिए भाजपा ने मेयर का पद जीता है। आप ने कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप लगाया है। पंजाब कांग्रेस ने भी इस समझौते पर सवाल उठाए थे। चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजों का असर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है

HighLights
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा की जीत
चंडीगढ़ मेयर चुनाव का दिल्ली पर पड़ेगा असर
दिल्ली के बाद मेयर चुनाव चाहती थीं पार्टियां
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़।

मेयर चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की साख दांव पर लगी थी। यह चुनाव सिर्फ चंडीगढ़ तक सीमित नहीं था, बल्कि इसकी गूंज राजधानी दिल्ली तक सुनाई देनी थी। इसलिए हर कोई इसे किसी भी कीमत पर जीतना चाहता था।
यही वजह थी कि आप और कांग्रेस के नेता 250 किलोमीटर का सफर कर रहे थे। दूर दिल्ली में एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे, वहीं चंडीगढ़ में भाजपा को रोकने के लिए समझौता कर चुनाव लड़ रहे थे।
आप को बड़ा नुकसान हुआ
इस पर भी भाजपा नेता सवाल उठाते रहे। चुनाव में क्रॉस वोटिंग के कारण भाजपा मेयर बनी और कांग्रेस को सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद मिला। सबसे बड़ा नुकसान आप को हुआ है। कांग्रेस का समर्थन भी आप को मेयर की कुर्सी नहीं दिला सका। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप अलग-अलग लड़ रही हैं।
दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं चंडीगढ़ में गठबंधन से पहले भी कई सवाल उठ रहे थे। पंजाब कांग्रेस ने भी इस समझौते पर सवाल उठाते हुए दिल्ली हाईकमान से शिकायत की थी। अब चुनाव नतीजों के बाद पंजाब आप ने कांग्रेस को गद्दार बताया है।

आप ने कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप लगाया
पंजाब आप प्रवक्ता नील गर्ग ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है। कांग्रेस की मेहरबानी से भाजपा मेयर बनी है। कांग्रेस और भाजपा दोनों साथ हैं। कांग्रेस दिल्ली में भी यही करेगी। आप पार्षदों के वोट से ही उनके सीनियर और डिप्टी मेयर चुने गए, लेकिन मेयर पद के लिए उन्होंने उनके साथ विश्वासघात किया। चंडीगढ़ में भी दोनों पार्टियों के बीच कड़वाहट बढ़ने लगी है।
अब दिल्ली चुनाव से पहले गठबंधन टूट सकता है। भाजपा दिल्ली में दोनों पार्टियों को घेरेगी। हार के डर से दोनों पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगाकर समझौते को खत्म कर सकती हैं। चंडीगढ़ समझौता स्थानीय नेताओं की वजह से चल रहा था। इस बार आप नेताओं को पहले से पता था कि नतीजे उनके पक्ष में नहीं आएंगे।
कार्यकारिणी के गठन के बाद से ही कई पार्षद नाराज थे। जसबीर सिंह लाडी, पूनम देवी, अंजू कत्याल, जसविंदर कौर समेत कई पार्षदों ने नाराजगी भी जताई थी। बाद में सभी रोपड़ लाउंज में एकत्र हुए। यही वजह रही कि पार्टी ने नामांकन के दिन ही प्रेमलता को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
चुनाव टालने के प्रयास किए गए
दिल्ली विधानसभा चुनाव के चलते मेयर चुनाव टालने के प्रयास किए गए। सबसे पहले आप मेयर कुलदीप ने अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने भी उनका कार्यकाल पांच दिन बढ़ाकर 29 जनवरी तक कर दिया। इसके बाद उन्होंने हाथ खड़े कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पारदर्शिता के साथ चुनाव कराने की मांग की।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद चंडीगढ़ मेयर का चुनाव कराना चाहती थी आप, क्या उसे पहले से ही हार का पता था?